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कुछ अनुभव बड़े मार्मिक होते है
जब आप अस्पताल जाते है तो जीवन की कई सच्चाइयो से सामना करते है और कई बार आपके सामने वो सच्चाई आ जाती है
अस्पताल में और उसकी गंध, या दुर्गंद कह लीजिये, से मुझे बड़ी तकलीफ होती है
परन्तु कभी कभी आप इसे टाल नहीं सकते है
आज हॉस्पिटल में जाना हुआ।
एक परिचित की ब्रेन सर्जरी हुई थी
Neurosurgeon भारत के एक बेहतरीन डॉक्टर्स में से एक है हमारे अच्छे मित्र है उनसे भी मिलने का मौका मिला
परिचित सीनियर सिटीजन है और सर्जरी के बाद अभी ICU में है और उनकी पत्नी उनकी देखभाल कर रही है
जब डॉक्टर उनसे मिल रहे थे तो कुछ और परिवार जिनके रिश्तेदार डॉक्टर के मरीज़ थे मिलने आ गए
परिचित के परिवार से मिलने के बाद, हमारे डॉक्टर मित्र हमें कैंटीन ले गए और कॉफ़ी पे बड़ी ही भावनात्मक बातें हुई. हर रोगी की एक कहानी है
ये आज पता चला की हमारे मित्र बड़े ही धीर, गंभीर और संवेदनशील है
उन्होंने बताया की nuro के मरीजों को कई बार बहुत लम्बे समय तक भी हस्पताल में रहना पड़ता है, रोगी की बहुत देख रेख करनी पड़ती है
कई बार उन्होंने देखा है की कई cases में परिवार हिम्मत तोड़ देते है
उसके बाद उन्होंने जो निजी अनुभव साझा किए वह बहुत मार्मिक थे
वो बोले जब आप निजी तौर पे अस्पताल में इतने कठिन समय से गुजरते है तो समझ आ जाता है की कौन आपके साथ है और कौन नही
बुरा समय सबसे बढ़िया आइना होता है
जब रोगी बहुत लम्बे समय तक कोमा में होते है या उनको बहुत पर्सनल केयर, उनकी hygine क्लीनिंग से लगा कर सब कुछ करना पड़ता है
तब ऐसे समय में कई बार रोगी की पत्नी, बच्चे साथ छोड़ देते है, उनके रिश्तेदारों की हिम्मत टूट जाती है
वो अस्पताल रोगी को देखने भी नहीं आते है
परन्तु मेरे डॉक्टर मित्र के २० साल से भी ज्यादा के अनुभव में एक भी ऐसा केस ऐसा नहीं आया जब माँ ने अपने बच्चे को छोड़ दिया हो
चाहे बच्चा कितना भी बड़ा क्यों न हो और माँ कितनी भी बुजुर्ग क्यों ना हो वो हमेशा आती है और कोशिश करती है
कितनी सच्चाई है जीवन के इस अनुभव में
निश्चित तौर पर माँ के कर्ज को कभी भी चूका नहीं सकते है
मेरे पास शब्द नहीं थे कुछ और कहने के लिए
जिंदगी की भाग दौड़ में हम रिश्तो की अहमियत को भूल जाते है या "taken for granted" करते है!!!
आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है
नितीन ऐस धर्मावत
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